True love is that where we only desire to give, give, and give, without any expectation of return. Such sacrifice by devotee enslaves God.
वास्तविक प्रेम वह है जिसमें हम केवल देने, देने और देने की ही इच्छा करें; बिना किसी प्रतिलाभ की अपेक्षा के | भक्त का ऐसा त्याग भगवान को भी दास बना लेता है |
वास्तविक प्रेम वह है जिसमें हम केवल देने, देने और देने की ही इच्छा करें; बिना किसी प्रतिलाभ की अपेक्षा के | भक्त का ऐसा त्याग भगवान को भी दास बना लेता है |
Thank you swami Mukudananda ji for letting me know how sweet is the Divine Love is where there is no place for any selfishness but just serve the Lord for His happiness alone.
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